“तमिल ईलम का स्वतंत्र राज्य भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा नहीं है “: विश्वनाथन रुद्रकुमारन

रुद्रकुमारन विश्वनाथन तमिल ईलम की पारदेशी सरकार के प्रधान मंत्री हैं । यह एक राजनीतिक गठन है जिसका मक्सद है तमिल लोगों के अपने मौलिक राजनीतिक सिद्धांतों के आधार पर उनकी राष्ट्रीयता, मातृभूमि और आत्मनिर्णय के अधिकार को हासिल करना। वह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के पूर्व कानूनी सलाहकार थे और अब यूएसए में एक पेशेवर वकील के रूप में कार्यरत हैं।


रुद्रकुमारन विसुवनथन ने इंडिया अब्रॉड न्यूज़ सर्विस (आईएएनएस) से विशेष बातचीत की।


1) श्रीलंका एक भारी आर्थिक संकट झेल रहा था और देश लड़खड़ा रहा था। इस पर आपकी क्या राय है?


जैसा कि तमिल ईलम की ट्रांसनेशनल सरकार (TGTE) ने बार-बार कहा है, श्रीलंका में आर्थिक तबाही का प्रमुख व मूल कारण रहा है तमिलों के खिलाफ युद्ध के दौरान कई वर्षों से भारी सैन्य खर्च, और युद्ध के अंत के बाद से राज्य द्वारा तमिलों के संरचनात्मक नरसंहार के लिए लगातारहो रहा उच्च सैन्य खर्च । इस साल नवंबर के मध्य में जारी किये गये मौजूदा सरकार के बजट-2023 [i] के अनुसार, रक्षा मंत्रालय और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के लिए संचयी बजट 1.4 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक है -जो श्रीलंका के स्वास्थ्य और शिक्षा के संयुक्त बजट के बराबर है। तमिल लोग चाहते हैं कि आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक (WB) और दाता देश तमिलों सहित पूरे द्वीप पर सेना के उपरोक्त अत्यधिक आर्थिक भार को समझें और श्रीलंका को अपने सैन्य खर्च को कम करने के लिए मजबूर करें, ताकि वह सहायता प्राप्त कर सके।


2) लिट्टे के पुनर्गठन की रिपोर्टें मिल रही हैं, इस संबंध में आप क्‍या महसूस करते हैं?


लिट्टे हमेशा तमिल लोगों के दिलों में बसा रहेगा।श्रीलंका के तमिल इलाकों में शहीद दिवस मनाने पर मिली प्रतिक्रिया से पता चलता है हकीकत । हजारों तमिलों ने स्वयं लोगों द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों में भाग लिया।


3) तमिल आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के आरोप में LTTE के एक पूर्व वरिष्ठ खुफिया कार्यकर्ता को तमिलनाडु में गिरफ्तार किया गया था। क्या


आपको लगता है कि इस तरह फंड एकत्र करना (fundraising) चल रहा है? LTTE को "आतंकवादियों की सूची" में रखने के लिए इस प्रकार का "समाचार" गढ़ा जाता है। चूंकि LTTE अपने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से सकारात्मक राजनीतिक परिणाम प्राप्त कर रहा था, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के कुछ वर्ग LTTE को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। एक ऐसा व्यक्ति जो राज्य से संबंध नहीं रखता, को सैन्य माध्यम से अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करता देख अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां सहज नहीं महसूस करती हैं। वे बल प्रयोग का एकाधिकार अपने पास रखना चाहती हैं।


आज दुनिया भर के तमिलों के लिए LTTE एक प्रेरणा है, और उसे लगता है कि उसने उन्हें वह सम्मान भी दिया है जिसके वे लंबे समय से हकदार थे। जहां तक LTTE को आतंकवादियों की सूची में रखने की बात है, उसका एक अन्य कारण है- तमिल राष्ट्रवाद की भावना को दबाने के लिए दुनिया भर के तमिलों के दिलो-दिमाग से उसे मिटाना है, जिसे वे स्थिरता के लिए खतरा मानते हैं। पर यह एक भ्रान्ति है।


तर्क के लिए, भले ही हम मान लें कि उपरोक्त आरोप में कुछ सच्चाई है, फिर भी एक व्यक्ति के कार्यों के लिए पूरे संगठन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कई देशों में ऐसे बहुत से निर्णय विधि (case laws) हैं जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी व्यक्ति की कार्रवाई, जिसका समर्थन नेतृत्व द्वारा नहीं किया गया है, के लिए उस संगठन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।


4) क्या तमिल राष्ट्र के उभरने की संभावना है?


उमुझे लगता है कि आपके पूछने का मतलब यह है कि क्या एक नए तमिल राज्य के निर्माण की संभावना है? मैं सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि पिछले 30 वर्षों के दौरान दुनिया भर में 30 से अधिक नए राज्य बने हैं। मुलिवैक्कल नरसंहार और तमिलों के निरंतर संरचनात्मक नरसंहार (structural genocide) को देखते हुए, तमिल ईलम का एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य उपचारात्मक न्याय उपाय के रूप में आवश्यक है। यह नैतिक सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय कानूनके अनुरूप है।


सबसे महत्वपूर्ण, राज्य को हासिल करने के लिए तमिलों का दृढ़ संकल्प और इस विचार को दुनिया भर के तमिलों का समर्थन इसे एक वास्तविकता बना देगा। तमिल ईलम का निर्माण अब 'अगर' का मामला नहीं है, बल्कि केवल 'कब' का मामला है – और हम बहुत जल्द इसकी उम्मीद करते हैं।


5) क्या चीन भारत को धमकाने के लिए एक कमजोर श्रीलंका में आधार तैयार कर रहा है?


हाल तक चीनी निवेश श्रीलंका के दक्षिणी भाग में रहा। लेकिन अभी हाल-फ़िल्हाल में, चीन पारंपरिक तमिल मातृभूमि और द्वीप के एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक हिस्से में यानि श्रीलंका द्वीप के उत्तर पूर्वी हिस्से में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है। श्रीलंका के समुद्र तट की कुल लंबाई लगभग 1600 किमी है। उसमें से, उत्तर पूर्वी तटरेखा लगभग 1050 किमी है, जो कुल का लगभग 66% हिस्सा है।


मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि श्रीलंका के उत्तर पूर्वी हिस्से में चीन की मौजूदगी, जो दक्षिण भारत से केवल 48.3 किलोमीटर दूर है, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक जबरदस्त खतरा है। भारत को ईलम तमिलों के साथ सीधे वार्ता शुरू करनी चाहिए और एक राजनीतिक व्यवस्था तैयार करनी चाहिए, जिसमें ईलम तमिलों की अपनी भूमि और आस-पास के समुद्रों


पर संप्रभु शक्ति हो। हमारा मानना है कि इस तरह की व्यवस्था केवल तमिल ईलम के एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य में ही की जा सकती है, और इससे घटनाक्रम बदल जाएगा। तमिल ईलम का एक स्वतंत्र राज्य भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा नहीं है। भारतीय खुफिया एजेंसियों और नीति-निर्माताओं की ऐसी धारणा केवल व्यामोह है। इसके विपरीत, यथास्थिति को बर्करार रखना अधिक चीनी सामरिक नियंत्रण (strategic control) और युद्धाभ्यास का मार्ग प्रशस्त करेगा, और यही भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए वास्तविक खतरा है।


6) आप तमिल ईलम की पारदेशी सरकार के प्रधान मंत्री हैं। कृपया अंतरराष्ट्रीय सरकार की अवधारणा को व्याख्यायित करें।


यह लोकतंत्र, आत्मनिर्णय, पराराष्ट्रवाद (transnationalism) और पारदर्शिता पर आधारित एक अभिनव अवधारणा है। TGTE ईलम तमिल डायस्पोरा का एक लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित निकाय है, जिनमें से अधिकांश को सिंहली नस्लवादी उत्पीड़न के कारण अपनी मातृभूमि छोड़ने पर और तमिल ईलम की मुक्ति के लिए लड़ने पर मजबूर किया गया था। 2010 में TGTE के गठन के तुरंत बाद एक कुर्द कार्यकर्ता ने मुझे ईमेल भेजा जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय मुक्ति के लिए लड़ने वाले अन्य संगठनों को भी इस मॉडल का अनुसरण करना चाहिए।


7) क्या आप अमेरिका में निर्वासन में हैं? कृपया समझाएँ।


श्रीलंका के संविधान में 6वें संशोधन, जो श्रीलंका के सैन्यीकरण के साथ-साथ एक स्वतंत्र राज्य के लिए शांतिपूर्ण वकालत पर भी रोक लगाता है, के कारण तमिलों के पास अपनी राजनीतिक मांगों या भावनाओं को व्यक्त करने के लिए राजनीतिक स्पेस या स्वतंत्रता नहीं है। श्रीलंका के बाहर होने के कारण मुझे स्वतंत्र राज्य के लिए तमिलों को प्रोत्साहित करने के लिए यह स्पेस और स्वतंत्रता मिलती है। श्रीलंका ने मुझे और हमारे संगठन को कई अन्य तमिल कार्यकर्ताओं और तमिल संस्थाओं के साथ आतंकवादियों की सूची में रखा है। मुझे कहना होगा, हम इसे तमिल विषय को आगे बढ़ाने में हमारे काम की ‘बैकहैंड’ स्वीकृति मानते हैं! यहां मेरा यह भी बताना ज़रूरी है कि श्रीलंका ने अपनी "आतंकवादी सूची" तैयार करने में, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1331 का उल्लंघन किया है।


यह उल्लंघन इस बात की और एक अभिव्यक्ति है कि कैसे श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय कानून का दुरुपयोग करता है और उसे विकृत करता है।


8) सभी वैश्विक राजधानियों में लिट्टे की उपस्थिति थी। क्या आप लिट्टे के बौद्धिक वर्ग की गतिविधियों के बारे में प्रकाश डाल सकते हैं?


मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। जहां तक TGTE का संबंध है, हमारे बुद्धिजीवी वर्तमान में तमिल राष्ट्र के राजनीतिक भविष्य का फैसला करने के लिए एक जनमत संग्रह की बात सोच रहे हैं। इसके माध्यम से वे तमिलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के तरीके और साधन तैयार कर रहे हैं। जनमत संग्रह का आह्वान मौलिक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं पर आधारित है, जैसा कि पिछले 20 वर्षों में युद्धरत पक्षों के बीच कई शांति समझौतों में प्रकट हुआ है।


9) क्या तमिल डायास्पोरा आपके अभियान का समर्थन कर रहा है?


1977 में ईलम तमिलों ने भारी बहुमत से एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने का जनादेश दिया। लिट्टे को ईलम तमिल लोगों का समर्थन मिलने का एक प्रमुख कारण यह था कि उसने एक स्वतंत्र राज्य का समर्थन किया था। अभी हाल ही में, 2021 में, TGTE ने 21 नवंबर को तमिल ईलम राष्ट्रीय ध्वज दिवस के रूप में घोषित किया। यह दुनिया की विभिन्न राजधानियों में तमिल डायस्पोरा द्वारा मनाया गया था। इस प्रकार, डायस्पोरा समर्थन के बारे में आपके प्रश्न का उत्तर ‘’हाँ’’ है। मैं इस अवसर पर श्रीलंकाई राज्य और अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों को एक चुनौती जारी करता हूं कि वे स्वतंत्र राज्य के लिए तमिलों के समर्थन का परीक्षण करने हेतु एक जनमत संग्रह आयोजित करें। विसुवनाथन रुद्रकुमारन


संपर्क: pmo@tgte.org
Contact: pmo@tgte.org
English Version:
An independent state of Tamil Eelam is not a threat to India’s territorial integrity: Rudrakumaran
https://www.einpresswire.com/article/614254830/an-independent-state-of-tamil-eelam-is-not-a-threat-to-india-s-territorial-integrity-rudrakumaran-indian-news-agency

Visuvanathan Rudrakumaran
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